May 11, 2012

सूखे गुलाब की कुछ पंखुरियां

आज दोपहर की ही तो बात है..
एक पुरानी डायरी के पन्ने पलट के देख रही थी के उसमें कुछ सूखे गुलाब मिले...
ये वही गुलाब है जो तुमने मुझे पहली बार दिए थे..
जब पहली बार मैंने तुम्हारी आँखों में कुछ अजीब सी चमक देखी थी..
एक ऐसी चमक जो कह रही हो के तुमको बस इसी दिन का इंतज़ार था.
इन गुलाबो में ना तो अब वो रंग रह गए थे और ना ही वो खुशबु...
रह गयी थी तो हर पंखुरी में बसी  कुछ यादें..
जो उस दिन से जुड़ीं हुई हैं...

आगे के कुछ पन्ने पलटे तो देखा के उसमें एक chocolate का wrapper रखा हुआ था.
जो शायद वही होगा जो तुमने मुझे दिया था......
उन  wrappers को देख के वही पुरानी मीठी यादें जेहन में ताज़ा हो उठी ...

यूँही पन्ने पलटते और यादो को जीते जब मैं आगे बढ़ी तो..
कुछ पिक्चर के tickets भी मिले जिनको देख के अजीब सी मुस्कराहट आ गई चेहरे पे....
इन tickets से उनकी फिल्मो के नाम तो मिट चुके थे,
पर वो सारी तस्वीर मेरे दिमाग में अभी भी चल रही थी, के कैसे तुम पिक्चर कम और मुझे ज्यादा देख रहे थे.....

आज सोचा इन यादो को आज़ाद कर दूं..या फिर कही ऐसी जगह रख दूं के मुझे फिर से ना दिखे...
पर मैं भूल गयी थी की ये "यादें" है ...जो चाहकर भी मैं अलग नहीं कर सकती.....
जो कर सकती हूँ तो वो है "कोशिश"...

ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है ना...
कुछ ऐसी चीज़े होती है जिनसे हम कभी भी दो चार नहीं होना चाहते,
फिर भी ज़िन्दगी के पास बहुत कुछ है सीखाने को और ये सिखा के ही मानती है.....

~शिष्टा~




2 comments:

  1. Simpleee Nyc..no wrds 2 say nythng..

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  2. kuch yaad dila gyi ''sukhe gulab ki ye pankhuriyan'''

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