कल यूँही प्याला लिए बैठी थी मैं समंदर के किनारे,
उठती गिरती लहरों को देखते एक ख्याल आया मन में..
जैसे शायद ये लहरें कुछ कहना चाहती है मुझसे...
मानो कह रही हो की तुम्हारी मंजिल अब दूर नहीं है...
बस वहीँ है इन लहरो के पीछे....
कल यूँही प्याला लिए बैठी थी समंदर के किनारे...
ऐसा लगा जैसे उन लहरों के पार कोई जहाँ है,
जो सिर्फ मेरे हे इंतज़ार में है....
वो जहाँ जो सिर्फ खुशियों से भरा है..
और भरा है मेरे सपनो से...
सपनो का ही तो है वो जहाँ....
समंदर की वो उठती गिरती लहरों की आवाज़ में भी कुछ सुकून सा था..
मन तो था बस वहीँ बैठ के उसको सुनने का...
उसी आवाज़ को जो कह रही थी मुझसे..
लहरों के उस पार की दुनिया बुला रही है तुम्हे..
जो सिर्फ तुम्हारे लिए है....
कल यूँही प्याला लिए बैठी थी समंदर के किनारे...
~
शिष्टा~
उठती गिरती लहरों को देखते एक ख्याल आया मन में..
जैसे शायद ये लहरें कुछ कहना चाहती है मुझसे...
मानो कह रही हो की तुम्हारी मंजिल अब दूर नहीं है...
बस वहीँ है इन लहरो के पीछे....
कल यूँही प्याला लिए बैठी थी समंदर के किनारे...
ऐसा लगा जैसे उन लहरों के पार कोई जहाँ है,
जो सिर्फ मेरे हे इंतज़ार में है....
वो जहाँ जो सिर्फ खुशियों से भरा है..
और भरा है मेरे सपनो से...
सपनो का ही तो है वो जहाँ....
समंदर की वो उठती गिरती लहरों की आवाज़ में भी कुछ सुकून सा था..
मन तो था बस वहीँ बैठ के उसको सुनने का...
उसी आवाज़ को जो कह रही थी मुझसे..
लहरों के उस पार की दुनिया बुला रही है तुम्हे..
जो सिर्फ तुम्हारे लिए है....
कल यूँही प्याला लिए बैठी थी समंदर के किनारे...
~
शिष्टा~
बहुत सुन्दर सृजन , आभार.
ReplyDeleteकृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें , आभारी होऊंगा
Is doobti hui kashti ko sahara miljaye
ReplyDeleteMere maula mujhe koi to kinara miljaye
reh reh ke khwahish yun jaagti hai mann mein
tasveer se bahar jo tu mile to sitara miljaye